।।ॐ।। भैरवी स्तवन।।ॐ।।
न तातो न
माता न बंधुर न दाता
न पुत्रो न
पुत्री न भर्थो न भरथा
न जानामि विद्या
न वृथिर ममेय
गतिस्वम गतिस्वम
त्वम एका भैरवी।
न जानामि दानम
न च ध्यान योगम
न जानामि तन्त्रम
न च स्त्रोत्र
मंत्रम
न जानामि पूजा
न च न्यास योगम
गतिस्वम गतिस्वम
त्वम एका भैरवी।।
प्रेजेशम, रमेशम महेशम
सुरेशम
दिनेशंस निषिधेश्वरम वा कदाचित
न जानामि चानयत
सदाहम शरण्य
गतिस्वम गतिस्वम
त्वम एका भैरवी।।
भवाबद्ध पारे महादुख
भीरु
प्रपात प्रकामें प्रलोभे प्रमाथ
कुसंसार पाश प्रबधा
सदाहम
गतिस्वम गतिस्वम
त्वम एका भैरवी।।।
न जानामि पुण्यं,
न जानामि तीर्थम
न जानामि मुक्तिम,
लयम वा कदाचित
न जानामि भक्तिम,
वृतम वापी मात
गतिस्थवम गतिस्थवम तवं एका भैरवी।।।
विवाधे, विषादे, प्रमाधे, प्रवासे
जले चा नले
पर्वते शत्रु मध्ये!
अरण्ये, शरण्ये सदा
मम प्रपाहि
गतिस्थवम गतिस्थवम तवं एका भैरवी।।
🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment